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सिरोही शहर के दिलीप पटेल ने समुद्र तल से 7 हजार मीटर ऊंचे एवरेस्ट फर्स्ट व 18 हजार 209 फीट ऊंचाई पर स्थित काला पत्थर हिल पर फराया तिरंगा

 
 
     सिरोही शहर के दिलीप पटेल ने समुद्र तल से 7 हजार मीटर ऊंचे एवरेस्ट फर्स्ट व 18 हजार 209 फीट ऊंचाई पर स्थित काला पत्थर हील पर तिरंगा व माउंट आबू सिरोही का झंडा फहरा जिले का नाम रोशन किया है। दिलीप के साथ उसके अन्य सात साथियों ने 10 दिन में करीब 130 किलोमीटर पैदल चढ़ाई की और वहां तक पहुंचे। दिलीप ने बताया कि वहां ऑक्सीजन लेवल करीब माइनस 14.8 प्रतिशत से 21 प्रतिशत के बीच रहता है। ट्रेकिंग के दौरान उनकी तबीयत भी खराब हो गई थी लेकिन टीम लीडर र|ेश पांडेय ने रेस्क्यू ऑपरेशन किया। इसके बाद पटेल ने बताया कि एवरेस्ट फस्र्ट कैंप और काला पत्थर हिल तक पहुंचने के लिए नेपाल की ओर से सात परमिट जारी किए गए थे। इसके अलावा उनकी टीम में मध्य प्रदेश से र|ेश पांडेय, अंजली पांडेय, मेघा, उत्तर प्रदेश से अदिती, महाराष्ट्र से हेमलता, जम्मू कश्मीर से अजय वैद्य और नेपाल से नीमा दैई भी शामिल थे। गौरतलब है कि काला पत्थर हिल को सबसे ट्रेकिंग के लिए सबसे बेहतर माना जाता है और यहां से माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी भी दिखाई देती है। इसकी खासियत यह भी है कि यह आधा बर्फ से ढका है जबकि दूसरा हिस्सा पत्थर ही नजर आता है। 
 
     सिरोही के दिलीप की फतह : माइनस 14 से 21 प्रतिशत ऑक्सीजन लेवल, 130 किलोमीटर पैदल चढ़ाई की, तबीयत भी बिगड़ी, फिर भी 18 हजार 209 फीट ऊंचे काला पत्थर हिल पर फहराया तिरंगा काला पत्थर हील के बाद दिलीप ने समुद्र तल से 22 हजार 965 फीट की ऊंचाई पर स्थित एवरेस्ट कैम्प फर्स्ट पर भी तिरंगा फहराया सिरोही के दिलीप ने काला पत्थर हील पर तिरंगा फहराया। पशुपतिनाथ के दर्शन कर ट्रेकिंग शुरू, 10 दिन में हिल फतह 
 
   दिलीप पटेल ने बताया कि काठमांडू पहुंचने के बाद वहां टीम के साथ शेरपा(गाइड) से मिले। इसके बाद पूरी टीम ने नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपति नाथ मंदिर में दर्शन किए तथा आगे के लिए बढ़े। इसके दूसरे दिन सभी काठमांडू से रामेचाप एयरपोर्ट से लुकला गांव पहुंचे, जो समुद्र तल से 2 हजार 860 मीटर ऊंचाई पर है। यहां से दिलीप उनके साथियों की 130 किमी पैदल चढ़ाई शुरू हुई। 
 
ऐसे पहुंचे एवरेस्ट कैम्प फर्स्ट व काला पत्थर 
 
पहला दिन : काठमांडू से लुकला व पखडींग जो समुद्र तल से 8 हजार 700 फीट है। यह दूरी 3 से 4 घंटे में पूरी की। 
 
दूसरा दिन : पखडींग से नामचीन बाजार, जो समुद्र तल से 11 हजार 280 फीट है। यह दूरी 5 से 6 घंटे में पूरी की। 
 
तीसरा दिन : नामचीन बाजार में पूरे दिन अभ्यास किया गया। 
 
चौथा दिन : नामचीन बाजार से टेंगबोचे, जो समुद्र तल से 12 हजार 694 फीट है। इसे 5 से 6 घंटे में पूरा किया 
 
पांचवां दिन : टेंगबोचे से डींगबोचे, जो समुद्र तल से 14300 फीट की ऊंचाई पर है। इसे 5 से 6 घंटे में पूरा किया। 
 
छठां दिन : डींगबोचे से डुग्लाह, जो समुद्र तल से 15 हजार 90 फीट की ऊंचाई पर है। इसे पार करने में 4 घंटे लगे। 
 
सातवां दिन : डुग्लाह से लोबूचे, जो समुद्र तल से 16 हजार 207 फीट है। इसे पार करने में 2 से 4 घंटे लगे। 
 
अाठवां दिन : लोबूचे से गोरक शीप, जो समुद्र तल से 16 हजार 971 फीट है। इसे पार करने में 8 से 9 घंटे का समय लगा। 
 
नौंवा दिन : कैम्प स्टे किया गया। 
 
दसवां दिन : काला पत्थर हील पहुंचे, जो समुद्र तल से 18 हजार 209 फीट ऊंचाई पर है। यहां पर दिलीप ने तिरंगा व माउंट आबू सिरोही का फ्लैग फहराया। 
 
पहले बाइक से कर चुके हैं ३२ हजार किमी की यात्रा, विश्व बुक रिकार्ड में दर्ज करवा चुके है नाम 
 
गत साल दिलीप पटेल ने हिंदू धर्म संस्कृति को लेकर भारत, भूटान व नेपाल तीन देशों में 32 हजार किलोमीटर बाइक चलाकर विश्व बुक रिकार्ड में भी अपना नाम दर्ज करवा कर सिरोही का नाम रोशन कर चुके है। इससे पहले तीन बार बाइक पर भारत भ्रमण कर चुके है। इसके साथ ही पटेल पिछले नौ साल में मुंबई फिल्म सिटी में बतौर फिल्म प्रोडक्शन में काम कर रहे है। ऐसे में बाइक राइडिंग व एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने के बाद फिल्म जगत के कलाकारों ने भी बधाइयां दी है।